BHARAT Origin
प्राचीनकाल से भारत के अलग-अलग नाम रहे हैं। जैसे जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, भारत, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया। हालांकि इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित नाम भारत रहा है।
भारत शब्द का ओरिजिन
- पौराणिक काल में भरत नाम के कई रेफरेंस मिलते हैं। जैसे- राजा दशरथ के बेटे और राम के छोटे भाई भरत। नाट्यशास्त्र के रचयिता भरतमुनि, पुरुवंश के राजा दुष्यंत और शकुंतला के बेटे भरत जिनका जिक्र महाभारत में भी है। महाभारत में भरत को सोलह सर्वश्रेष्ठ राजाओं में गिना गया है।
- पौराणिक मान्यताओं को आधार मानने पर भारत नाम के पीछे दुष्यंत के बेटे भरत का ही जिक्र आता है। ऋग्वेद की एक शाखा ऐतरेय ब्राह्मण में भी दुष्यंत के बेटे भरत के नाम पर ही भारत नामकरण का तर्क है। इसमें भरत को एक चक्रवर्ती राजा यानी चारों दिशाओं को जीतने वाला राजा कहा गया। ऐतरेय ब्राह्मण में इसका भी जिक्र है कि भरत ने चारों दिशाओं को जीतने के बाद अश्वमेध यज्ञ किया जिसके चलते उनके राज्य को भारतवर्ष कहा गया।
- मत्स्यपुराण में मनु को भरत कहा गया है। मनु को प्रजा को जन्म देने और उसका भरण-पोषण करने के कारण भरत कहा गया। जिस क्षेत्र पर मनु का राज था उसे भारतवर्ष कहा गया।
- जैन धर्म के धार्मिक ग्रंथों में भी भारत नाम का जिक्र मिलता है। कहा जाता है कि भगवान ऋषभदेव के बड़े बेटे महायोगी भरत के नाम पर देश का नाम भारतवर्ष पड़ा।
- विष्णु पुराण में एक श्लोक है… उत्तर यत्समुद्रस्य हिताद्रेश्चैव दक्षिणम। वर्ष तत भारतम नाम भारती यत्र सन्ततिः।। यानी, जो समुद्र के उत्तर व हिमालय के दक्षिण में है, वह भारतवर्ष है और हम उसकी संतानें हैं।
कई इतिहासकारों का मानना है कि महाभारत का युद्ध ईसा से करीब ढाई हजार साल पहले हुआ था। फिर इस युद्ध का नाम महाभारत क्यों पड़ा? दरअसल कौरव-पांडवों के घर की लड़ाई ने जब बड़ा रूप लिया तो दो परिवारों की इस लड़ाई में उन सभी राज्यों ने हिस्सा लिया था जो भारतवर्ष की भौगोलिक सीमा में आते थे। वर्ष का मतलब संस्कृत में हिस्सा या इलाका होता है।
इस युद्ध में तृत्सु जाति के लड़ाकों ने दस राज्यों के संघ पर जीत हासिल की। तृत्सुओं को भरतों का संघ कहते थे। तृत्सुओं की जीत के बाद उनका वर्चस्व बढ़ा और उनके जीते गए दसों राज्यों के संघ को भारत कहा गया।
तृत्सु जाति दरअसल भारत नाम के लोगों का एक समूह था। ये आर्यों के बीच के ही थे। भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम-उत्तर में बसने वाले आर्यों के इस ग्रुप का उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद के सातवें मंडल में मिलता है। हमारे देश का भारत नाम ही सबसे पुराना कहा जा सकता है।
INDIA Origin
इंडिया शब्द का ओरिजिन
सिन्धु नदी को ग्रीक भाषा में इंडस नाम से जानते थे। इंडस शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है। यूनान के इतिहासकार हेरोटोस ने 440 ईसा पूर्व इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया था। उन्होंने तुर्की और ईरान से इंडिया की तुलना करते हुए कहा था कि इंडिया स्वर्ग जैसा है। जहां की मिट्टी उपजाऊ है और जिस क्षेत्र में काफी ज्यादा आबादी रहती है।
वर्ल्ड हिस्ट्री वेबसाइट के मुताबिक 300 ईसा पूर्व पहली बार यूनान के राजदूत मेगस्थनीज ने सिंधु नदी के पार के इलाके के लिए इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया।
हिन्द और हिन्दुस्तान शब्द का इतिहास भी लगभग 2500 साल पुराना है। माना जाता है कि बाहर से आने वाले लोग ‘स’ को ‘ह’ बोलते थे। इसलिए सिंध बन गया हिंद। आगे चलकर इस सभ्यता से जुड़े लोगों को हिंदू कहकर पुकारा जाने लगा और इस क्षेत्र को हिंदुस्तान।
262 ईस्वी में ईरान के सासानी सम्राट शापुर प्रथम के नक्श-ए-रुस्तम शिलालेख में हिन्दुस्तान का उल्लेख है। यह भी माना जाता है कि हिंदुकुश की पहाड़ियों के पीछे का क्षेत्र हिंदुस्तान कहा जाता था।
अरबों ने इस देश को अल हिन्द कहा और तुर्की के आक्रांताओं, दिल्ली के सुल्तानों और बादशाहों ने अपने भारतीय प्रभुत्व वाले भू-भाग का हिन्दुस्तान के रूप में उल्लेख किया।
इतिहासकार इयान जे बैरो ने अपने आर्टिकल 'फ्रॉम हिन्दुस्तान टु इंडिया: नेम्स चेंजिंग इन चेंजिंग नेम्स' में लिखा है कि 18वीं शताब्दी के मध्यकाल से इसके अंत तक दुनिया के दूसरे हिस्से में हिंदुस्तान शब्द का इस्तेमाल अक्सर मुगल सम्राट के शासन वाले क्षेत्रों के लिए किया जाता था। 19वीं सदी में अंग्रेजों ने इंडिया शब्द का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल शुरू कर दिया।
इसके बाद अंग्रेजों के असर की वजह से रियासतों के राजा भी अपने राज्यों में भारत नाम बोलने के लिए इंडिया शब्द का इस्तेमाल करने लगे थे। 1857 ईस्वी तक भारत के एक बड़े क्षेत्र पर अंग्रजों यानी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का कब्जा हो गया। 1857 के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने उन इलाकों पर अधिकार कर लिया जो ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार क्षेत्र में थे। इसी समय इंडिया नाम का इस्तेमाल देश और दुनिया में तेजी से बढ़ा।
संविधान सभा में भारत और इंडिया दोनों नामों पर क्या चर्चा हुई और कैसे दोनों नाम स्वीकार हुए?
संविधान सभा की बहस के दौरान 17 सितंबर 1949 को 'संघ का नाम और क्षेत्र' खंड चर्चा के लिए पेश हुआ। जैसे ही अनुच्छेद 1 को पढ़ा गया- 'इंडिया, जो भारत है राज्यों का एक संघ होगा'। संविधान सभा में इसे लेकर मतभेद उभर आए। फॉरवर्ड ब्लॉक के सदस्य हरि विष्णु कामथ ने अंबेडकर कमेटी के उस मसौदे पर आपत्ति जताई जिसमें दो नाम इंडिया और भारत थे।
इसके बाद उन्होंने संशोधन प्रस्ताव रखा जिसमें इंडिया की जगह भारत नाम सुझाया गया। सेठ गोविंद दास ने कहा कि वेदों, महाभारत, कुछ पुराणों और चीनी यात्री ह्वेन-सांग के लेखों में भारत देश का मूल नाम था। इसलिए स्वतंत्रता के बाद संविधान में इंडिया को प्राथमिक नाम के रूप में नहीं रखा जाना चाहिए।
संयुक्त प्रांत के पहाड़ी जिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले हरगोविंद पंत ने स्पष्ट किया कि उत्तर भारत के लोग भारतवर्ष नाम चाहते हैं और कुछ नहीं। कमेटी ने कोई भी संशोधन प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए और हमारे संविधान में देश का नाम भारत और इंडिया दोनों पारित हो गए।
Source : Danik Bhaskar