The Four Noble Truths are a central teaching in Buddhism, and they are as follows:

  1. The truth of suffering (dukkha): Life is characterized by suffering, pain, and unsatisfactoriness. Birth, aging, illness, and death are inevitable, and everyone experiences suffering in various forms throughout their lives.

    दुख की सच्चाई (दुक्ख): जीवन की विशेषता दुख, दर्द और असंतोष है। जन्म, बुढ़ापा, बीमारी और मृत्यु अपरिहार्य हैं, और हर कोई अपने पूरे जीवन में विभिन्न रूपों में पीड़ा का अनुभव करता है।


  2. The truth of the cause of suffering (samudaya): Suffering is caused by craving and attachment. People suffer because they desire things that are impermanent and subject to change, and they cling to these things even when they know they cannot keep them.

    दुःख के कारण का सत्य (समुदाय) : दुःख तृष्णा और आसक्ति के कारण होता है। लोग पीड़ित हैं क्योंकि वे ऐसी चीज़ों की इच्छा रखते हैं जो अस्थायी हैं और परिवर्तन के अधीन हैं, और वे इन चीज़ों से तब भी चिपके रहते हैं जब वे जानते हैं कि वे उन्हें नहीं रख सकते।


  3. The truth of the cessation of suffering (nirodha): Suffering can be overcome by eliminating craving and attachment. When one lets go of their desires and attachments, they can achieve a state of inner peace and freedom from suffering.

    दुख निरोध (निरोध) का सत्य: राग और आसक्ति को समाप्त करके दुख को दूर किया जा सकता है। जब कोई अपनी इच्छाओं और आसक्तियों को छोड़ देता है, तो वह आंतरिक शांति और पीड़ा से मुक्ति की स्थिति प्राप्त कर सकता है।


  4. The truth of the path to the cessation of suffering (magga): The path to the cessation of suffering is the Eightfold Path, which includes right understanding, right intention, right speech, right action, right livelihood, right effort, right mindfulness, and right concentration. By following this path, individuals can cultivate wisdom, morality, and concentration, which lead to the elimination of craving and the attainment of enlightenment. दुख के निरोध के मार्ग का सत्य (मग्गा): दुख के निरोध का मार्ग अष्टांगिक मार्ग है, जिसमें सही समझ, सही इरादा, सही भाषण, सही कार्य, सही आजीविका, सही प्रयास, सही स्मृति और सही सोच शामिल है। सही एकाग्रता। इस मार्ग का अनुसरण करके, व्यक्ति ज्ञान, नैतिकता और एकाग्रता की खेती कर सकते हैं, जिससे तृष्णा का उन्मूलन और ज्ञान की प्राप्ति होती है।