राजस्थान में पर्यटन विकास 

राजस्थान में मोहम्मद युनुस समिति की सिफारिश पर 4 मार्च 1989 को पर्यटन को उद्योग का दिया गया | 2004-05 में पर्यटन को जन उद्योग का दर्जा दिया गया| राजस्थान में कुल चार पर्यटन संभाग है जो निम्न है:-

जोधपुर

अजमेर

कोटा

उदयपुर

राजस्थान पर्यटन विभाग का स्लोगन पधारो म्हारे देश है और पर्यटन की टेग लाइन “राजस्थान –भारत का अतुल्य राज्य” है|



प्रमुख पर्यटन सर्किट

क्र.सं

पर्यटन सर्किट

सम्मलित जिले/क्षेत्र

1.

मरू पर्यटन सर्किट

जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर।

2.  

ढुढाड पर्यटन सर्किट

जयपुर, आमेर, सामोद, आभानेरी (दौसा)

3. 

मेरवाड़ा पर्यटन सर्किट

पुष्कर (अजमेर) मेड़ता (नागौर)

4.  

मेवात पर्यटन सर्किट

अलवर, भरतपुर, रणथंबोर (सवाई माधोपुर ), टोंक।

5.  

रणकपुर पर्यटन सर्किट

माउंट आबू, जालौर, रणकपुर

6.

हाड़ौती पर्यटन सर्किट

इस पर्यटन सर्किट के अंतर्गत कोटा बूंदी तथा झालावाड़ जिला शामिल है।

7.  

वागड़ पर्यटन सर्किट

डूंगरपुर, बांसवाड़ा।

8.  

मेवाड़ पर्यटन सर्किट

उदयपुर, चित्तौड़गढ़ राजसमंद, कुंभलगढ़, नाथद्वारा, जयसमंद

9.  

शेखावाटी पर्यटन सर्किट

सीकर, चूरू, झुंझुनू, जिला

10.

राजधानी पर्यटन सर्किट

सिलीसेढ़-सरिस्का (अलवर) बालेडी़-धौलपुर (राज्य का नवीनतम पर्यटन सर्किट)


पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान के प्रमुख म्यूजियम

कालबेलिया स्कूल ऑफ डांस — (हाथी ग्राम -आमेर) जयपुर

( इसे अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की दृष्टि से विश्व धरोहर में शामिल किया गया था — वर्ष 2010 में।)

 स्कूल ऑफ वास्तु — पुष्कर (अजमेर)

( यह भारत की प्रथम वास्तु से संबंधित स्कूल है।)

वार म्यूजियम (युद्ध संग्रहालय) — जैसलमेर

 राष्ट्रीय जनजातीय संग्रहालय — मानगढ़ (बांसवाड़ा)

 शहीद स्मारक — बीकानेर

 सफारी पार्क — रणथंभौर


पर्यटन नीति

राजस्थान पर्यटन नीति जारी करने वाला भारत का पहला राज्य है|

अब तक राजस्थान में 4 पर्यटन नीतियाँ जारी हो चुकी है जो निम्न प्रकार है:-

प्रथम पर्यटन नीति — 27 सितंबर 2001

उद्देश्य — पर्यटन उद्योग को ‘उद्योग’ के रूप में दर्जा देना।

द्वितीय पर्यटन नीति — 2007 में आयोजित

उद्देश्य — पर्यटन में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देना

तृतीय पर्यटन नीति— 2015 में स्थापना

चतुर्थ पर्यटन नीति-9 सितम्बर 2020


राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC)

स्थापना - 1978 में

मुख्यालय - जयपुर

कार्य

1. राजस्थान में पर्यटन विकास हेतु कार्यक्रम, नीतियां और योजनाएं तैयार करना।

2. पर्यटन स्थल का रखरखाव करना। 3. पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु मेले व महोत्सव को आयोजित करना। 4 पर्यटकों की सुविधा हेतु होटल, पर्यटन पुलिस एवम् गाईडों की व्यवस्था करना।